घोषणापत्र – २०२० संस्करण

इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले हम सब डिज़ाइनर, एक ऐसे जगत में पले-बढ़े हैं जिसमें पूँजीवाद को बरक़रार रखने के लिए हम मुनाफ़े को इंसान और पृथ्वी से ज़्यादा महत्व देते हैं. बढ़ती मात्रा में हमारे जीवन और हमारी शक्तियों का इस्तमाल होता है अनावश्यक मांगों के उकसाने, जनता का शोषण करने, संसाधनों के निचोड़ने, भूमि भराव क्षेत्रों को भरने, वायु के प्रदूषण, उपनिवेशन (colonization) को बढ़ावा देने और पृथ्वी को उसके छटे सामूहिक विनाश की ओर ठेलने में. हमने अपनी मनुष्य जाति के कुछ लोगों के लिए खुशहाल, सुविधाजनक जीवन का निर्माण करने में सहयोग दिया है, और अन्य लोगों की हानि होने दी है. कभी कभी हमारी रचनाओं के कारण लोग अलग थलग हो जाते हैं, मिट जाते हैं, और भेद-भाव से पीड़ित हो जाते हैं.

ऐसे कई डिज़ाइन के शिक्षक और पेशेवर हैं जो पूँजीवाद की विचार पद्धति को जीवित रखते हैं. बाज़ार इस पद्धति को लाभ पहुंचाते हैं; नकलों और लाइक की बाढ़ इसे और मज़बूत बनाती है. डिज़ाइनर इसी दिशा में प्रेरित हो कर, अपने हुनर  और कल्पना शक्ति का प्रयोग कर, बेचते हैं फ़ास्ट फैशन, फ़ास्ट गाड़ियां और फ़ास्ट खाना; उपयोग करके फेंकने वाले कप, बबल रैप, एक बार उपयोग करने वाले प्लास्टिक की असीम मात्राएँ; बेचैनी मिटाने वाले खिलौने (फिजेट स्पिनर), माइक्रोवेव में पकाने योग्य भोजन, नाक के बाल कतरने वाले उपकरण (नोज़ ट्रीमर). हम व्यापार करते हैं सेहत के लिए हानिकारक देह छवि और आहार का; ऐसे उत्पाद व ऐप्स का जिनसे सामाजिक अकेलापन और अवसाद उपजता है, असंतुलित भोजन के उपभोग का; हम बेचते हैं पॉप करने के लिये पिल्स, टिक को टॉक, स्क्रोल करता हुआ फ़ीड जो कभी ख़त्म नहीं होता.... और साथ में वो इच्छा भी कि उसका उपभोग बार बार करते चले जाएँ. हां, ये सच है कि व्यापारिक काम रोज़मर्रा ज़िन्दगी के खर्चों के लिए ज़रूरी हैं, लेकिन बहुत से डिज़ाइनरों ने इसे अपना मुख्य काम बना लिया है. और इसी कारण दुनिया भी डिज़ाइन को इसी नज़रिए से देखने लगी है. 

हम में से कई लोगों में डिज़ाइन की इस धारणा से लगातार कष्ट बढ़ता जा रहा है. इस वजह से हम आवाज़ उठा रहे हैं एक भारी परिवर्तन के लिए, जिसका विषय है कि डिज़ाइनर क्या डिज़ाइन करें, और कैसे करें. वर्ग, जाति, और लिंग के आधार पर जो प्रधानताएं बन गयी हैं, उससे जलवायु परिवर्तन बहुत एहम तरीकों से उलझा हुआ है. केवल निरंतरता (sustainability) के लिए हमारा ज़ोर लगाना काफ़ी नहीं है. हमें नई व्यवस्थाओं की शुरुआत करनी होगी जो पिछले करे हुए को अनकिया करें, और अतीत के घावों को भर दें. 

हमें क्या करना चाहिए

  • हमें डिज़ाइन के इतिहास, प्रक्रियाओं और नीतियों को चुनौती देनी चाहिए और परखना चाहिए, और डिज़ाइन के लिए नए सृजनात्मक कौशल, संसाधन, आपसी सहयोग, और भाषाओँ को विकसित करना चाहिए.

  • पुराने ज़ख्मों को स्वस्थ करने, मिलजुल कर रहने, न्याय और आपसी सम्मान के लिए समाज जो साझे प्रयत्न कर रहा है, उसमें हमें साथ देना चाहिए.

  • हमारी समझ में आ जाना चाहिए कि हम प्रकृति के बाहर नहीं हैं; हम एक बहुमिश्रित व्यवस्था का हिस्सा हैं और हमारे कर्मों में यह समझ झलकनी चाहिए.

  • हमें अपने पेशे की प्राथमिकताओं को पलटना पड़ेगा, और चुनने पड़ेंगे ऐसे कार्य जिनमें हर तरह के लोग शामिल हो सकें, जिनकी बुनियाद में हमदर्दी हो, और जो  सम्मिलित करने वाले हों- एक ऐसा बुद्धि परिवर्तन जो निरंतरता (sustainability) के परे जा सके- जिसकी दिशा हो पुनर्जीवन, नई खोज, जो मिल कर सृजन करे समाज और जलवायु के बीच ऐसे संबंधों का, जो न शोषण करने वाले हों न अनुचित रूप से हड़पने वाले हों.

  • हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम डिज़ाइन, निर्माण, वितरण, और डिज़ाइन करी हुई वस्तुओं के इस्तेमाल को पुनः धरती और उसके सारे निवासियों से जोड़ेंगे. 

  • इंसानियत को बेहतर करने के लिए हमें अपनी निपुणता को एक स्वस्थ पर्यावरण वाली सभ्यता की ओर दिशा देनी पड़ेगी.

    हम मानते हैं कि इन सारे सिद्धांतों को डिज़ाइन के एक बहुविषयी शिक्षण शास्त्र में संघटित कर देना चाहिए.

    हम डिज़ाइन को समेट कर के उसे केवल एक केन्द्र बिंदु पर लाने के पक्ष में नहीं हैं: ये संभव भी नहीं है. न तो हम जीवन से उसका मज़ा हटाना चाहते हैं. लेकिन हम प्रस्तावित कर रहे हैं कि हमें प्राथमिकताओं को बदल कर डिज़ाइन के अधिक उपयोगी, जीवनदायी, और न्यायसंगत रूपों को अपनाना चाहिए.

    १९६४ में, कोई २२ दृश्य संचारकों (visual communicators), जिनमें युवा और वृद्ध दोनों थे, ने अपने कौशल का उपयुक्त उपयोग करने के लिए हमारे प्रथम दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किये थे. सन २००० में ३३ डिज़ाइनरों ने प्रथम दस्तावेज़ के संशोधित प्रारूप पर हस्ताक्षर किये, और २०१४ में, घोषणापत्र की ५०वी वर्षगाँठ पर, दुनिया भर के १६०० से अधिक डिज़ाइनरों ने First Things First Manifesto के लिए फिर से अपना वादा दोहराया. पृथ्वी के मुख्य जीव-क्रमों के लगातार विनाश के कारण, यह सन्देश बहुत ज़रूरी होता जा रहा है. पृथ्वी दिवस की पचासवी वर्षगाँठ का उत्सव मनाते हुए, जैसे-जैसे हम अपने जलवायु संकट के संयुक्त असर को अपनी आँखों के सामने उभरते देख रहे हैं, हम पिछले घोषणापत्र को नई ऊर्जा देने का काम और भी शीघ्रता से कर रहे हैं. ये अति आवश्यक है कि हम जलवायु के लिए कार्यवाही तुरंत करें.

कार्य करने में सब का साथ दीजिये.